Tera Intezaar Ab Bhi Hai – True Love & Separation Tale hindi story

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 Tera Intezaar Ab Bhi Hai – True Love & Separation Tale hindi story

Intro- "Tera intzar ab bhi hai"ये कहानी एक sad love story है जिसमे सच्चे प्यार की, जिसमें दो दिल एक-दूसरे के लिए धड़कते थे, लेकिन उनकी मोहब्बत को अपने ही सबसे करीब लोगों ने मंज़ूर नहीं किया। रवि और नव्या—दोनों ने साथ जीने-मरने के वादे किए थे, मगर समाज और माँ-बाप की ज़िद ने उन्हें जुदा कर दिया जिसके कारण यह एक सच्चे प्यार और जुदाई की कहानी (true love and separation tale) बन जाती है।

 

Emotional moment of ravi and navya - Hindi love story of separation

Tera Intezaar Ab Bhi Hai – True Love & Separation Tale


उनके रिश्ते को नाम मिलने से पहले ही तोड़ दिया गया, सपने अधूरे रह गए, और एक-दूसरे से जुदा होकर भी दिलों का रिश्ता कभी टूटा नहीं। वक़्त बीत गया, लोग बदल गए, मगर रवि अब भी हर शाम उसी Garden पर खड़ा होता है, जहाँ नव्या से आख़िरी बार मिला था।

 

रवि ने कभी किसी और को अपनी ज़िंदगी में जगह नहीं दी। क्योंकि उस अधूरी मोहब्बत में आज भी एक उम्मीद ज़िंदा है।

 

क्योंकि... "Tera Intzaar Ab Bhi Hai."

 

भाग 1: पहली मुलाकात (Part 1: The First Meeting)

 

रवि और नव्या की मुलाकात दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक dabate compitition में हुई थी। रवि एक छोटे शहर से आया हुआ होशियार लड़का था, और नव्या एक पढ़े-लिखे, आधुनिक लेकिन संस्कारी परिवार की बेटी थी। दोनों का नजरिया ज़िंदगी को लेकर अलग था, लेकिन एक बात जो उन्हें जोड़ती थी – वह थी उनकी सादगी और दिल से सोचने की आदत।

 

धीरे-धीरे उनकी बातचीत शुरू हुई, और फिर वो बातचीत आदत में बदल गई। वे दोनों हर सुबह एक-दूसरे को फोन पर ‘good morning’बोलते, क्लास के बाद साथ में कैफ़े जाना, लाइब्रेरी में साथ पढ़ना – सब कुछ जैसे उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया।

 

भाग 2: कब प्यार हो गया, पता ही नहीं चला( I didn't even realize when I fell in love.)

 

एक दिन नव्या ने रवि से पूछा?

"अगर मैं कहीं दूर चली जाऊं तो क्या तुम मुझे मिस (miss)करोगे?"

रवि मुस्कराया और बोला,

"तुम जाओगी तो शायद सांस लेना भी भूल जाऊं…मैं तुमसे सच्ची मोहोब्बत (true love)करता हु।"

 

उस दिन दोनों को एहसास हुआ कि ये सिर्फ दोस्ती नहीं थी। ये कुछ और था – शायद मोहब्बत।

 

फिर उन्होंने एक-दूसरे से प्यार का इज़हार किया। रवि ने कहा,

"मैं शादी करूंगा तो सिर्फ तुमसे, वरना किसी से नहीं।"

 

काव्या की आँखें भर आईं, और उसने भी वही वादा किया।

 

भाग 3: जब जिंदगी ने करवट ली (When life took a turn)

 

कॉलेज खत्म हुआ। दोनों ने अपनी-अपनी जॉब शुरू की। लेकिन असली मुश्किल तब आई, जब उन्होंने अपने-अपने घरों में शादी की बात की।

 

नव्या के पिता, जो एक नामी डॉक्टर थे, उन्होंने साफ मना कर दिया।

"वो लड़का तुम्हारे लायक नहीं है। उसके पास न पैसा है, न स्टेटस(status)। ये इश्क़-विश्क़ कॉलेज की बातें हैं।"

 

रवि के घरवाले भी राजी नहीं हुए।

"लड़की दूसरे धर्म की है, हमारा खानदान क्या कहेगा?"

 

दोनों ने बहुत कोशिश की। समझाया, गिड़गिड़ाए, रोए… लेकिन समाज, जाति, धर्म और स्टेटस (status) की ज़ंजीरों ने उनके प्यार को कैद कर दिया।

 रवि उदास मन से बोला "क्या हमारी prem kahani इतनी जल्दी खत्म हो जाएगी।"

 

भाग 4: आख़िरी मुलाकात (The Last Meeting)

 

एक शाम दोनों ने एक पार्क (garden)में मिलने का फैसला किया। वो जगह, जहाँ पहली बार साथ बारिश में भीगे थे।

 

नव्या बोली,

"शायद हम सही समय पर नहीं मिले, या शायद इस दुनिया के लिए हमारा प्यार अधूरा ही बेहतर है।"

 

Hearbreaking farewell of youn indian lovers - true love lost

रवि ने उसका हाथ थामते हुए कहा,

"मैं तुझे कभी भूल नहीं पाऊंगा, नव्या। लेकिन मैं तुझे रोकूंगा भी नहीं। जाओ मैं तुम्हे आज़ाद कर रहा हूं... तुम्हारी ख़ुशी के लिए।"

 

वो एक-दूसरे को आखिरी बार गले लगे… बिना कोई वादा किए, बिना किसी शिकायत के।

 

भाग 5: आज भी…( Even today…)

 

सालों बीत गए। रवि ने शादी नहीं की। वो एक लेखक (Author)बन गया और कहानियां लिखता रहा – हर कहानी में एक लड़की होती थी – नव्या।

 

नव्या ने अपने माता-पिता की मर्ज़ी से शादी कर ली, लेकिन उसकी आंखों में कभी वो चमक नहीं लौटी जो रवि के साथ थी।

 

कभी-कभी जब वो अकेली होती, तो सागर की लिखी एक किताब पढ़ती –

जिसका शीर्षक होता, **"Tera intazar ab bhi hai ~ Hindi love story"**।

 

 

फ्लैशबैक – "तेरी हँसी में मेरा सुकून था"
(Flashback - "Your laughter was my solace”)

 

(स्थान: एक पुरानी डायरी, जिसे नव्या अपनी अलमारी के सबसे नीचे वाले ड्रॉअर में छुपा कर रखती है। शादी के कई साल बाद, एक शाम वो अकेली बैठी है, और अचानक उसे उस डायरी की याद आते ही उसे निकल कर पढ़ाने लग जाती है डायरी के कवर पेज पर लिखा होता है " writing in love…")

 

 

📖 12 नवम्बर 2017 – शनिवार

 

आज फिर रवि मुझे वही चाय और समोसा खिलाने ले गया। मैंने मना किया था, “हर बार यही क्यों?”

 

उसने हँसते हुए कहा, “क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी मोहब्बतें हमेशा सबसे मामूली जगहों से शुरू होती हैं।”

 

और फिर वो मुझे देखता रहा… उस नज़र में इतनी सच्चाई थी कि मैं नज़रें चुरा गई।

 

📖 25 दिसम्बर 2017 – क्रिसमस

 

पहली बार उसने मेरा हाथ पकड़ा। हम कनॉट प्लेस में घूम रहे थे। ठंड बहुत थी, लेकिन उसके छू लेने भर से अजीब सी गर्माहट महसूस हुई।

 

मैंने पूछा, “अगर मेरे पापा नहीं माने तो?”

 

उसने थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहा, “तो भी तुझे नहीं छोड़ूंगा।मैं तेरे बिना अधूरा हूं, नव्या।”

 

मैं बस मुस्कुरा दी…और मैं शायद मन ही मन डर भी रही थी।

 

📖 9 मार्च 2018 – होली

 

हमने साथ में होली खेली और उन रंगो से ज़्यादा वो नज़दीकियाँ याद रह गईं। उसके घरवाले पहली बार मुझसे मिले। उनकी आँखों में संदेह था, लेकिन रवि ने मेरा हाथ मज़बूती से थाम रखा था।

 

शायद यही प्यार होता है – हर किसी से बिना डरे, बिना छुपाए अपने प्यार के साथ खड़े रहना।

 

📖 3 अगस्त 2018 – सब कुछ बदल गया

 

आज पापा ने बहुत डांटा। उन्होंने कहा, “अगर उससे शादी की तो हमारा रिश्ता खत्म।”

 

माँ की आंखें भी नम थीं… पर उन्होंने भी कहा, “प्यार सब कुछ नहीं होता।”

 

मैंने रवि को फ़ोन किया। उसकी आवाज़ काँप रही थी।

 

“हम लड़ेंगे, नव्या। हार नहीं मानेंगे।”

 

मैंने कहा, “ठीक है, मैं भी तैयार हूं… हर लड़ाई के लिए।”

 

लेकिन क्या हम वाकई तैयार थे?

 

 

(डायरी पढ़ते हुए नव्या की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। वो पन्ने पलटती जाती है…)

 

 

📖 14 जनवरी 2019 – आख़िरी मुलाक़ात

 

वो शाम बहुत ठंडी थी। लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ठंडा था – हिम्मत की कमी।

 

रवि बोला, “हम दोनों थक गए हैं, ना? अब शायद ये लड़ाई हमारी नहीं रही, हम अपने मम्मी पाप को नहीं मना आएंगे।”

 

मैं चुप रही… सिर्फ उसकी उंगलियों को महसूस करती रही जो धीरे-धीरे मेरी हथेली से फिसल रही थीं।

 

"शायद किसी और जन्म में," मैंने धीरे से कहा।

 

"शायद," उसने भी वही दोहराया।

 

और हम दो रास्तों पर चल पड़े… बिना पीछे देखे।

 

नव्या डायरी बंद करती है, और बाहर झाँकती है – उसके बच्चों की हँसी गूंज रही है, उसका पति अख़बार पढ़ रहा है। सब कुछ ठीक है… लेकिन कुछ अधूरा सा लगता है। 

 

क्या नव्या कभी रवि से मिल पाएगी। और अगर कभी दोनों किसी मोड़ पर मिले तो उनका मिलना क्या रंग लाएगा आगे की कहानी और भी खूबसूरत रंग लाने वाली है अगले पोस्ट में।

 

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